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26 Jul 2017 · 1 min read

==* जहाँ मैं खड़ा था *== (गजल)

नजारा नशीला जहाँ मैं खड़ा था
गवारा नही लौटना मैं खड़ा था

नदी सामने बेतहाशा हसीं थी
न मंजूर वो भापना मैं खड़ा था

जरासा डरा मैं तजुर्बा न कोई
पड़ा थंड में कांपना मैं खड़ा था

सहारा न कोई अकेली जवानी
बड़ी बेवफा यातना मैं खड़ा था

शशी ने बताये फसाने वहां के
बचा जो समा ताकना मैं खड़ा था
—————-//**–
शशिकांत शांडिले, नागपुर
भ्र.९९७५९९५४५०

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