Sahityapedia
Sign in
Home
Your Posts
QuoteWriter
Account
3 Jul 2017 · 1 min read

मेरी दुनिया तेरी यादों के साये में रहती है

मेरी दुनिया तेरी यादों के साये में रहती है
कभी हँसती है मुझ पर ये कभी मुझमें ही रोती है

सुबह से शाम तक साथी तुम्हारी राह ताकती है
मिलन की चाह में पगली में,सदा सजती सम्बरती है
मेरी आँखों मे सासों में,मेरे ख्याबो में तुम रहती
मेरी शामो सहर हर पल तुम्हारी यादों मे रोती
मेरी दुनिया तेरी यादों के साये में रहती है
कभी हँसती है मुझ पर ये कभी मुझमें ही रोती है

तेरे दीदार की खातिर ये आँखे भीनी रहती है
कभी नहरों कभी नदिया कभी सागर सी बहती है
जुदा ये दर्द कैसा है जो हर सीने में उठता है
मोहबत में तुम्हारी ये सुबह शामो सिसकता है
मेरी
मेरी दुनिया तेरी यादों के साये में रहती हैं
कभी हँसती है मुझ पर ये कभी मुझमें ही रोती है

मोहबत रोग ऐसा है जो हर दिल मे पनपता है
बताऊँ में तुम्हे कैसे की दिल कैसे सुलगता है
मेरा कम्बख़त ये दिल है जो तुम से ही जीता है
मेरी दुनिया तेरी यादों के साये में रहती है
कभी हँसती है मुझ पर ये कभी मुझमें ही रोती है

Loading...