Sahityapedia
Sign in
Home
Your Posts
QuoteWriter
Account
17 Apr 2017 · 1 min read

सीमेंट के जंगल

कौन कहता है?
हमने तोड़ा नाता जंगल से,
क्या हमें पता नहीं कि
जंगल में मंगल होता है ।
बेशक!हमारे स्वभाव से न झलके
अपनी जंगलियत ।
पर कई बार उजागर किये
कर्मों से पशुता की निशानी ।
जंगल का राजा जो भी हो,
पर आज हमारी हुकूमत है।
हमारे रहते किसी हिंसक की
आखिर क्यूँ जरूरत है?
गांव को नजरअंदाज करके
हमने जंगल की सफाई की है।
पानी न दे सके तो क्या?
आग की लपटें तो दी है?
पेड़ न रोप सके तो क्या?
हमने जंगल में दिल लगाया है।
शिला तोड़-तोड़ के
एक नया जंगल सजाया है।
जहाँ ऊँची-ऊँची इमारतें है ।
धरा की झुर्रियों सी सड़कें
दीमक-सी लगती विशाल जन सैलाब
उर्वरा भू को बंध्य बनाती “सीमेंट के जंगल” ।
( रचयिता :- मनी भाई )

Loading...