Sahityapedia
Sign in
Home
Your Posts
QuoteWriter
Account
15 Apr 2017 · 1 min read

ओस

पत्तों पर ठहरी ओस की बूँदें
नाजुक हल्की सी हवा से थरथराती
सूरज की पहली किरण में झिलमिलाती
नज़र पड़ते ही अन्तस को छू दें
तरल आकृति,
छोटे बच्चे के मन सी सरल
पत्ते के धरातल पर,
पाँव में बँधे घुंघरू सी चंचल
नाचती थिरकती पल पल
धोकर सुबह के चेहरे को
जीवन की हलचल में
हो जाती ओझल.
अपर्णा थपलि़याल”रानू”

Loading...