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6 Apr 2017 · 1 min read

तभीआनंदित हृदयअविराम हो |

जागरण दीपक बनो, सम्मान हो |
विचारों की सुगति की पहचान हो |
स्वयं को विकसित करो, निज तम हरो |
तभी आनंदित हृदयअविराम हो |

बृजेश कुमार नायक
“जागा हिंदुस्तान चाहिए” एवं “कौंच सुऋषि आलोक” कृतियों के प्रणेता

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