#### चेहरा तो लग रहा है ,,,,,,,,
**** गीत ****
सिवा आपके कुछ नज़र नहीं आता
जिधर देखता हूँ आप ही आप हो !!
आपकी तारीफ़ में कुछ ज़्यादा गर
कह जाऊँ, तो मेरी गुस्ताख़ी माफ़ हो !!
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चेहरा तो लग रहा है गुलाब की तरह |
आँखें तो लग रही हैं शराब की तरह ||
सच कहता हूँ देखा नहीं है आपकी तरह —-
किस कल्पना से रब ने
है आपको बनाया |
है शुक्रिया ये रब का
आपको ज़मीं पर लाया ||
चमचम चमके बदन आपका चाँद की तरह —-
सच कहता हूँ…………….
ये मैं ना समझ पाऊँ
हकीकत में आप क्या है !
ज़न्नत की हूर हैं या
फूलों की नर्म पंखुरियां हैं
आप मेरे सामने हैं पर लगते ख़्वाब की तरह —
सच कहता हूँ…………….
किस नाम से बुलाऊँ
ये सोच मैं रहा हूँ |
दिल में तो बहुत कुछ है
लब रोक ले रहा हूँ ||
आपके हर रंग-रूप लगे आफ़ताब की तरह —
सच कहता हूँ……………
हैं कितनी नज़ाकत शोखियाँ
आप कितनी खूबसूरत हैं |
दिल को अब मैं कैसे मनाऊँ
आप मेरी हर जरूरत हैं ||
पल-पल हैं आप दमकते सबाब की तरह —-
सच कहता हूँ…………..