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24 Mar 2017 · 1 min read

!!"योगी का डंडे का जोर"!!

डंडे में कितना जोर होता है
यह देख के बंदा मदहोश होता है
चैन की बंसी बजा के सो रहा था
अब “योगी” के डंडे से होश खोता है !!

पल भर में बदल दिया नजारा
अब देखने में कैसे आता है
अब तक थे कर रहे मन मानी
अब जोश कहाँ से वापिस आता है !!

सुनने को तैयार नहीं थे
कर रहे थे काम अपनी मर्जी का
पल भर में बदल गया नजारा
अब क्यूं नहीं कर रहे काम अपनी मर्जी का !!

डंडे में सच बड़ा ही जोर होता है
सीधे से मान जाओ तो अच्छा है
टेढ़ा होते ही औकात दिखा देता है
अब आओगे सही रास्ते”योगी”यही तो कहता है !!

जन कल्याण को बनती है सरकारें
जन को दर किनार करते हैं अधिकारी
और उनके साथ काम करने वाले कर्मचारी
बेवजह दुःख बस जनता हो ही तो होता है !!

अच्छी पगार पाकर भी मोह, माया में
हर दम इन सब का देखो रहता है
उस को देखो जो पैसे पैसे के लिए
भरी धूप में सड़क पर धक्के खाता है !!

वक्त सच में अब अच्छा सा दिखने लगा है
लड़की और महिलाओ पर जोर अब नहीं चलेगा
सबक अच्छा सिखा दो इन सब को अब
“करूणाकर” खुलकर सड़क पर छेड़छाड़ अब रूकेगा !!

बने फिरते हैं जो खुद को रोमिओ
पल भर में सब कुछ निकल जाएगा
करना ही है यह काम अगर तुम को
पहले अपने घर से छेड़छाड़ करो सब पता चल जाएगा !!

अजीत कुमार तलवार
मेरठ

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