Sahityapedia
Sign in
Home
Your Posts
QuoteWriter
Account
22 Mar 2017 · 1 min read

!! मेरी वसीयत !!

दुनिया को छोड़ने से पहले
लिख कर जा रहा हूँ
जो भी शब्दों की संपत्ति
मेरे पास ऊपर वाले ने दी
उस को अब तक संभाल के रखा
अब उस को मैं अपनी
वसीयत के रूप में
लिख कर चला जाऊँगा
बाँट सको तो बाँट लेना
शायद तुम्हारे काम आ जाये
धन दौलत तो मैं कमा न पाया
इन को संभाल के रखा
था इन्हीं पलो के लिए
की जाने से पहले
दे जाऊं जो मैने
लिखा था समाज के लिए
धन पर तो बट जाते हैं
दुनिया भर के रिश्ते
दीवारे खड़ी हो जातीहैं
सब रिश्तेदारों के मध्य
यह है ऐसी दौलत
जो कोई छीन सकता नहीं था
इसी लिए लिख के जा रहा
हूँ तुम सब के लिए
“करूणाकर” दिया था नाम
शायद किसी इंसान ने मुझको
उस नाम का क़र्ज़ चुका के
जा रहा हूँ, अपनी इस
वसीयत से उन सब के लिए
कि लिखना और मुझ से
भी अच्छा लिखना
ताकि आने वाला कल और
सुनहरा हो, और मेरा समाज
की सोच भी गहरी हो
लाज रखना बस मेरी
इस वसीयत की सभी के लिए

अजीत कुमार तलवार
मेरठ

Loading...