((( एक है सूरज यहाँ…… )))
गुलिस्तां के फूल
#दिनेश एल० “जैहिंद”
” हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई
सब हैं इस गुलिस्तां के फूल |
अमन-चैन और सुख-शांति
यही मंत्र है हिंदुस्तां का मूल || ”
एक है सूरज यहाँ पिंड इसके अनेक हैं
फूल हैं अनेक मगर गुलशन तो बस एक है
( १ )
धर्मों में है अनेकता, है मगर यहाँ निर्पेक्षता |
झूठला सका ना कोई, ऐसी हमारी महानता ||
एक हैं मानव सभी मानवता ही श्रेष्ठ है —
( २ )
भाषा में है विविधता, कैसी ये एकरूपता |
आश्चर्य में हैं विश्व ये कैसे हैं हम धर्मात्मा ||
सत्यम् शिवम् सुंदरम् सर्वोत्तम विवेक है —
( ३ )
जाति से है जातियता पर इसमें है उच्चता |
कर्म से हैं श्रेष्ठ हम कर्म ही हमारा है देवता ||
धर्म और भाषा यहाँ जाति सभी अभेद है —
( ४ )
विविधता में एकता एकता में है श्रेष्ठता |
युगो युगांतर से ही यही हमारी है विशेषता ||
हम सभी आर्य-पुत्र आर्यावर्त्त हमारा देश है —
एक है सूरज यहाँ पिंड इसके अनेक हैं |
फूल हैं अनेक मगर गुलशन तो बस एक है ||
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