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27 Jan 2017 · 1 min read

दीवार

प्यार के गारे को लेकर
सद्भावना के ईंट से
मै दीवार बनाता हूँ
ये मेरा पेशा है साहब
मै मकाँ बनाता हूँ

दीवारे बनाना भी
कभी नेक काम होता है
जैसे तिनके को जोड़
परिन्दो का घोंसला होता है
छत मिले मोहब्बतों का
इसलिए दीवार बनाता हूँ
ये मेरा पेशा है साहब
मै मकाँ बनाता हूँ

हम सब आ जाए
ऐसा छत हो साहिब
जहाँ गीता गाई जाय
और पढ़ी जाए कुरआन
ऐसा मज़बूत दीवार बनाता हूँ
ये मेरा पेशा है साहब
मै मकाँ बनाता हूँ

रहे अमन कायम मेरे देश का
कोशिशो में लगा हूँ
लफ्जो को जोड़ कविता से
साहित्य का किला बनाता हूँ
इसीलिए मै पंक्तियों की सफल
दीवार बनाता हूँ
ये मेरा पेशा है साहब
मै मकाँ बनाता हूँ

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