Sahityapedia
Sign in
Home
Your Posts
QuoteWriter
Account
27 Jan 2017 · 1 min read

यही है हकीक़त

कहीं झूठ है बेबसी
और कहीं लाचारी है
भष्टाचारी की थाली में
उन्नति बनी बीमारी है
लेन देन की बात चली है
दुखिया का सर्वस्व छली है
नौकरी के बदले में अस्मत
गहरी चोट ……..करारी है
नोट के बदले वोट बिके है
नेता हर चौखट दिखे है
बहुमत की ….तैयारी है
खूब मनाओ आजादी को
रंग चढ़ाओ बर्बादी को
बलि इसे भी प्यारी है
हर तरफ लाचारी है
हर तरफ दुश्वारी है

अनन्या “श्री”

Loading...