Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
3 Jun 2017 · 1 min read

मुक्तक

तेरा दिल में जब कभी ख्याल आता है!
दर्द-ए-तन्हाई का सवाल आता है!
रूठे हुए तरन्नुम सजते हैं होठों पर,
तेरी रुसवाई का मलाल आता है!

मुक्तककार- #मिथिलेश_राय

Language: Hindi
376 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.

You may also like these posts

यजीद के साथ दुनिया थी
यजीद के साथ दुनिया थी
shabina. Naaz
“सन्धि विच्छेद”
“सन्धि विच्छेद”
Neeraj kumar Soni
कहीं न कहीं
कहीं न कहीं
अभिषेक पाण्डेय 'अभि ’
मित्र होना चाहिए
मित्र होना चाहिए
हिमांशु बडोनी (दयानिधि)
अकेलापन
अकेलापन
krupa Kadam
/•• ख़ुबसूरत ज़हर ••/
/•• ख़ुबसूरत ज़हर ••/
Chunnu Lal Gupta
बाबा गंगेश्वर नाथ मंदिर (धराधाम परिसर) में स्थापित त्रिशूल – आस्था और शक्ति का प्रतीक
बाबा गंगेश्वर नाथ मंदिर (धराधाम परिसर) में स्थापित त्रिशूल – आस्था और शक्ति का प्रतीक
The World News
वक़्त को गुज़र
वक़्त को गुज़र
Dr fauzia Naseem shad
"गप्प मारने" के लिए घर ही काफ़ी हो, तो मीलों दूर क्या जाना...
*प्रणय प्रभात*
दामन जिंदगी का थामे
दामन जिंदगी का थामे
Chitra Bisht
पल भर तमाशों के बीच ज़िंदगी गुजर रही है,
पल भर तमाशों के बीच ज़िंदगी गुजर रही है,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
याद रखना मुझे
याद रखना मुझे
Kanchan verma
अरे कुछ हो न हो पर मुझको कोई बात लगती है।
अरे कुछ हो न हो पर मुझको कोई बात लगती है।
सत्य कुमार प्रेमी
सबने देखा है , मेरे  हँसते  हुए  चेहरे को ,
सबने देखा है , मेरे हँसते हुए चेहरे को ,
Neelofar Khan
कहानी
कहानी "श्यामा"
Sarla Sarla Singh "Snigdha "
राम बनो, साकार बनो
राम बनो, साकार बनो
Sanjay ' शून्य'
लंपी घातक रोग
लंपी घातक रोग
आकाश महेशपुरी
युद्ध का परिणाम
युद्ध का परिणाम
Arun Prasad
जाति
जाति
अश्विनी (विप्र)
सागर तो बस प्यास में, पी गया सब तूफान।
सागर तो बस प्यास में, पी गया सब तूफान।
Suryakant Dwivedi
कितनी किताबें छपी हुई है,
कितनी किताबें छपी हुई है,
Buddha Prakash
Jul 18, 2024
Jul 18, 2024
DR ARUN KUMAR SHASTRI
*विक्रम संवत (सात दोहे)*
*विक्रम संवत (सात दोहे)*
Ravi Prakash
कमौआ पूतोह
कमौआ पूतोह
manorath maharaj
यह तो सब नसीब की बात है ..
यह तो सब नसीब की बात है ..
ओनिका सेतिया 'अनु '
कभी  पलकें उठाते हो ,कभी  पलकें  गिराते  हो ।
कभी पलकें उठाते हो ,कभी पलकें गिराते हो ।
sushil sarna
क्या फर्क पड़ेगा
क्या फर्क पड़ेगा
Dr. Man Mohan Krishna
एक स्त्री का प्रेम प्रसाद की तरह होता है,
एक स्त्री का प्रेम प्रसाद की तरह होता है,
पूर्वार्थ
इतिहास का वो भयावह दिन
इतिहास का वो भयावह दिन
Dr. Kishan tandon kranti
*माँ जगत जननी*
*माँ जगत जननी*
Vedkanti bhaskar
Loading...