Sahityapedia
Sign in
Home
Your Posts
QuoteWriter
Account
28 Aug 2016 · 1 min read

अभिनन्दन बहु का

पल्लवित हो जननी के आँचल में
रोंपी गई हो पिया के आँगन में
लेकर हज़ार सपने इन नयनों में
अभिनंदन तुम्हारा बहु इस घर में

खो गयी पल भर को मैं भी बीते पलों में
जब रखा था पहला कदम इसी आँगन में
आज रख तुम पर मै आशीष का हाथ
बाँटना चाहती हूँ कुछ अनुभव तुम्हारे साथ

कठिन है पले पौधे का कही और रोपा जाना
उससे भी कठिन है लेकिन अच्छा माली बन पाना
नए घर नए रिश्तों से हुआ है तुम्हारा सामना
समर्पण से होगा तुम्हे भी इन सबको थामना

वादा है मेरा चाहे कैसी भी हो घडी
पाओगी तुम मुझे अपने ही साथ खड़ी
न थोपूंगी तुम पर कोई बंधन रस्मों रिवाज
पर रखना याद तुम्ही हो इस कुल की लाज़

जब भी पाना खुद को किसी कश्मकश में
देख लेना रख खुद को ही उसी अक्स में
तभी पा सकोगी उसका सही हल
हो पाओगी इस जीवन में सफल

मेरे जीने की वजह है तुम्हारा हमसफ़र
संग तुम्हारे ही है उसकी खुशियां मगर
जुडी हैं उसकी साँसे भी मेरी साँसों से
मत रखना दूर उसको उसके इन अहसासों से

जुड़ जाना खुद भी उसके परिवार से
भर जायेगा मेरा दामन भी खुशियों से
बन सच्ची हमसफ़र उसका साथ निभाना
अपने जीवन के हर सपने को सच बनाना।

डॉ अर्चना गुप्ता

Loading...