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9 Jan 2017 · 1 min read

कमी न लेती है

पास मेरे जो न होती तो कमी लगती है
चाह की राह हमें अब न सजी लगती है

हाल मेरे दिल का देख जरा तू आकर
याद आये तब आँसू की नदी बहती है

बात जो मैं कहता वो न कभी माने तो
आज माया सी मुझे वो तो छली लगती है

ख्याव में घुघरूँ को झनकाती आये
देख कोई मुझको तो वो परी लगती है

रूप उसका अब इतना मन भावन है जो
शाम ढलती तब बादल बदली लगती है

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