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7 Jan 2017 · 1 min read

आदमी

बीत गए वो लम्हे
अतीत के पन्नो पर
कुछ छाप छोड़ गए
कुछ मीठी यादे
कुछ रिश्ते तोड़ गए

यकीं होना किसी के होने का
यह अनुभव ज़रा कठिन है
इंसान था अकेला जन्म से
फिर क्यों किसी का साथ चाहिए
समझ न पाना रिश्तो के धागों को
न महसूस कर पाएंगे लोग
उसके तार बहुत महीन है

हम चाहते है कि न जुदा हो
हमसफ़र किसी का
रिश्ते बनाना तोडना काम आदमी का
क्यों न रहे हम अज़नबी की तरह
जब हर ओर दुश्मन
बना आदमी , आदमी का

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