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1 Jan 2017 · 1 min read

कविता

नये वर्ष मे
असंख्य खुशियँ मस्तियाँ,
अपने मे समेटे,
धरती पे बिखराने !
आय है नया वर्ष
आज तो बस नई सुबह है
नई किरणका,
उठकर स्वागत करें,
बरबस लगे हैं मुस्कुराने
नव पर्व के उल्लास मे
स्नेहिल सुखद सुषमा
लगे तन-मन दुलराने ।
हम भी खो जाएँ आज
रौ मे बह जाएँ,
सबकुछ भूलकर
थोड़ी देर जो रह पाएँ,
स्वयं को निखार ले,
जग को निखार जाएँ।
प्रकृति से सीख लें,
जीवन को सवाँर जाएँ,
फिर तो वर्ष का हर दिन
हर पल नई बहार हो,
आने वाला हर वर्ष भी
तेरा मेरा हर का उपहार हो ।
………………………………प्रमिलाश्री
1 . 1 . 2017

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