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26 Dec 2016 · 1 min read

#कुंडलिया//चैक बाउंस

सोचो समझो दीजिए , चैक किसी को यार।
बाउंंस अगर हो गया , जेल बने घर-बार।।
जेल बने घर-बार , लुटे घर की यूँ इज़्ज़त।
धोखेबाजी छोड़ , न आए घर में आफ़त।
सुन प्रीतम की बात , सत्य को कभी न नोंचो।
करो ख़ुशी से काम , ठीक से पहले सोचो।

#आर.एस.प्रीतम

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