Sahityapedia
Sign in
Home
Your Posts
QuoteWriter
Account
9 Dec 2016 · 1 min read

कविता

“सफर तुमसे”

अनचिन्हे से राहों मे निशां
कदमों के तुम्हारे
चिन्हित है
अमिट लकीरें

राह दिखाती साथ चलती
ख्यालों मे हमारे
धड़कती, साँसे
बिन हवा की चलती

अंतस के भीतर गहरे धूंध
के बीच, दिखती
लहराती ज्यो बाती
तुमारे प्रेम की, झूमती

तुम दरिया ,मै मौज बन
डुबती उबरती
कुछ पाती ,कुछ खोती
गाती इतराती

नही कोई कठिन अब डगर
हो तुम हमसफर
आसरा अब जहां का नही
छाँव रहती तुम्हारी

धुंधली तस्वीर हमारी
रंग जाती तुम्हारे रंग से
चमकती सवंरती
चंदन हो महकती

प्रमिला श्री

Loading...