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9 Dec 2016 · 1 min read

वो चाहते हैं उनके शब्दों को महसूस करें हम

वो चाहते हैं उनके शब्दों को महसूस करें हम,
नज़रों से नज़र हटे, तो कुछ आगे बढ़ें हम।

चेहरे की लिखावट में ही कब से फंसे हैं,
अब ये उलझन सुलझे, तो लबों को पढ़ें हम।

आँखों की गहराई में एक हद तक डूबे हैं,
अब वहाँ से उबरें, तो एहसास की सीढ़ी चढ़ें हम।

उनके शब्द कानों में जैसे मिश्री सी घोल गए,
अब इस मिठास में, कैसे शब्दों को महसूस करें हम।

————–शैंकी भाटिया
सितम्बर 15, 2016

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