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14 Nov 2016 · 1 min read

पत्थर ही पत्थर

पत्थर पर बैठी एक औरत
पत्थर को ही तोड रही है
तोड तोड कर पत्थर को
घर का तिनका तिनका जोड रही है

पास ही उसका बीमार आदमी
पत्थर को ही ढो रहा है
जैसे कल के भविष्य की खातिर
पत्थर को वो बो रहा है

चार बरस का बच्चा छोटा
पत्थर पर ही सो गया है
कल से पेट की आग मे तप के
पत्थर जैसा हो गया है

छोटी सी बिटिया मुनिया
पत्थर केसंग खेल रही है
उनकी चोटो को वो अपनी
मुस्कानो से झेल रही है

पास ही पत्थर के भवन मे
पत्थर ही पूजा जा रहा है
क्यों ना दुनिया पत्थर पूजे
जब सब जग पत्थर हो रहा है

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