Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
7 Oct 2016 · 4 min read

‘ मधु-सा ला ‘ चतुष्पदी शतक [ भाग-3 ] +रमेशराज

चतुष्पदी——–51.
त्याग रहे होली का उत्सव भारत के बालक-बाला
बैलेन्टाइनडे की सबको चढ़ी हुई अब तो हाला।
साइबरों की कुन्जगली में श्याम काम की बात करें
उनके सम्मुख राधा अब की, महँक रही बन मधुशाला।।
–रमेशराज

चतुष्पदी——–52.
आज विदेशी विज्ञापन की करे माडलिंग मधुबाला
‘ये दिल माँगे मोर’ शोर है करती ग्लैड रैड हाला।
लम्पट ‘मिन्टोफ्रेश’ चबाये, करतब उसकी खुशबू का,
स्वयं खिंची आती मुस्काती घर से बाहर मधुशाला।।
-रमेशराज

चतुष्पदी——–53.
टीवी पर चुम्बन-आलिंगन, महँक रही तन की हाला
अधोभाग का दृश्य उपस्थित, करती नृत्य खूब बाला!
अब उरोज का ओज झलकता, रेप-सीन हैं फिल्मों में
आज उपस्थित काम-कला की पर्दे पर है मधुशाला।।
–रमेशराज

चतुष्पदी——–54.
बनना था सत्ताधारी को संसद में बहुमत वाला
पद के लोभ और लालच की मंत्राी ने भेजी हाला।
पीकर उसे विपक्षी नेता ले-ले हिचकी यूँ बोले-
‘पाँच साल तक रंग बिखेरे मंत्राीजी की मध्ुशाला’।।
+रमेशराज

चतुष्पदी——–55.
कभी निभाया उस दल का सँग जिधर मिली पद की हाला
कभी जिताया उस नेता को जिसने सौंपी मधुबाला।
राजनीति की रीति बढ़ायी नोटों-भरी अटैची से
पाँच साल में दस-दस बदलीं दलबदलू ने मधुशाला।।
+रमेशराज

चतुष्पदी——–56.
जातिवाद की-सम्प्रदाय की और धर्म की पी हाला
अधमासुरजी घूम रहे हैं लिये प्रगतिवादी प्याला।
पउए-अदधे-बोतल जैसे कुछ वादों की धूम मची
पाँच साल के बाद खुली है नेताजी की मधुशाला।।
रमेशराज

चतुष्पदी——–57.
पर्दे पर अधखुले वक्ष का झलक रहा सुन्दर प्याला
टीवी पर हर एक सीरियल देता प्रेम-भरी हाला।
ब्लू फिल्मों की अब सीडी का हर कोई है दीवाना
साइबरों में महँक रही है कामकला की मधुशाला।।
-रमेशराज

चतुष्पदी——–58.
क्वाँरे मनवाली इच्छाएँ लिये खड़ी हैं वरमाला
कौन वरेगा उन खुशियों को जिन्हें दुःखों ने नथ डाला।
हाला-प्याला का मतलब है जल जाये घर में चूल्हा
रोजी-रोटी तक सीमित बस, निर्धन की तो मधुशाला।।
-रमेशराज

चतुष्पदी——–59.
खुशियों के सम्मुख आया है रंग आज केवल काला
तर्क-शक्ति को चाट गयी है भारी उलझन की हाला।
भाव-भाव को ब्लडप्रैशर है, रोगी बनीं कल्पनाएँ
मन के भीतर महँक रही है अब द्वंद्वों की मधुशाला।।
+रमेशराज

चतुष्पदी——–60.
हर घर के आगे कूड़े का ढेर लगा घिन-घिन वाला
मच्छर काटें रात-रात-भर, बदबू फैंक रहा नाला।
टूटी सड़कों के मंजर हैं, दृष्टि जिधर भी हम डालें
कैसे आये रास किसी को नगर-निगम की मधुशाला।।
-रमेशराज

चतुष्पदी——–61.
कब तक सपना दिखलाओगे गांधी के मंतर वाला
और पियें हम बोलो कब तक सहनशीलता की हाला।
अग्नि-परीक्षा क्यों लेते हो बंधु हमारे संयम की
कब तक कोरे आश्वासन की भेंट करोगे मधुशाला।।
+रमेशराज

चतुष्पदी——–62.
नसबंदी पर देते भाषण जिनके दस लल्ली-लाला
हाला पीकर बोल रहे हैं ‘बहुत बुरी होती हाला’।
अंधकार के पोषक देखो करने आये भोर नयी
नयी आर्थिक नीति बनी है प्रगतिवाद की मधुशाला।।
+रमेशराज

चतुष्पदी——–63.
बेटी को ब्याहा तो कोसा जी-भर कर बेटेवाला
रात-रात भर जाग-जाग कर चिन्ताओं की पी हाला
करनी अब बेटे की शादी, भूल गया बीती बातें
उसके भीतर महँक रही है अब दहेज की मधुशाला।।
–रमेशराज

चतुष्पदी——–64.
अपने-अपने बस्ते लेकर चक्कर काट रहे लाला
विक्रीकर विभाग का अफसर पिये हुए मद की हाला।
दफ्तर के चपरासी-बाबू खुलकर नामा खींच रहे
विक्रीकर सरकारी दफ्रतर बना रिश्वती मधुशाला।।
–रमेशराज

चतुष्पदी——–65.
डिस्को-क्लब में अदा बिखेरे बदन उघारे सुरबाला
कोई आँखों से पीता है, कोई होंठों से हाला।
बीबी जिनको नीरस लगती, वे सब क्लब में पहुँच गये
मादक बना रही है बेहद नगर-वधू की मधुशाला।।
–रमेशराज

चतुष्पदी——–66.
भले सुनामी लहरें आयें या मंजर हो ‘भुज’ वाला
इन्ही आपदाओं के बल पर उसके घर आती हाला।
इन्ही दिनों वह करे इकट्ठा चन्दा सबसे रो-रो कर
दौड़-धूप के बाद पहुँचता रात हुए वह मधुशाला।।
रमेशराज

चतुष्पदी——–67.
सबसे अच्छी मक्खनबाजी, हुनर चापलूसी का ला
तुझको ऊँचा पद दिलवाये चाटुकारिता की हाला।
स्वाभिमान की बात उठे तो दिखला दे तू बत्तीसी
कोठी, बँगला, कार दिलाये बेशर्मी की मधुशाला।।
–रमेशराज

चतुष्पदी——–68.
व्यभिचारी का यही धर्म है, पल-पल लूट रहा बाला
जिस प्याले में मदिरा डाले वही टूटना है प्याला।
इज्जत के करता वह सौदे कदम-कदम पर हरजाई
बेटी-बहिन-भतीजी उसको दें दिखलाई मधुशाला।।
-रमेशराज

चतुष्पदी——–69.
उसके हैं सम्बन्ध बॉस से, हर मंत्री का वह साला
थानेदार प्यार से उसको बोल रहा-‘ले आ हाला’।
कैसा भी हो जटिल केस वह सुलझा देता चुटकी में
सबको कर देती आनन्दित उस दलाल की मधुशाला।।
–रमेशराज

चतुष्पदी——–70.
बड़ी पत्रिका के दफ्रतर में लेकर पहुँचा वह बाला
जाने-माने सम्पादक के घर पर महँकायी हाला।
आज उसी के लेख-कहानी-कविताओं की धूम मची
रोज थिरकती है घर उसके अब दौलत की मधुशाला।।
-रमेशराज

चतुष्पदी——–71.
मल्टीनेशन कम्पनियों का ले किसान कर में प्याला
पट्टे पर खेती को देकर पीने बैठा है हाला।
फूल उगेंगे अब खेतों में गेंहू-चावल के बदले
पहले से ज्यादा महँकेगी विश्वबैंक की मधुशाला।।
–रमेशराज

चतुष्पदी—-72.
आज विदेशी मदिरा पीकर हर नेता है मतवाला
मल्टीनेशन कम्पनियाँ हैं आज हमारी हमप्याला।
अब पगडंडी त्यागी हमने हाईवे का चलन हुआ
सड़क-सड़क पर महँक रही है विश्वबैंक की मध्ुशाला।।
–रमेशराज

चतुष्पदी——–७३.
ऊपर से आदेश देश में हिन्दी-दिवस मने आला
सो बुलवाया भाषण देने अफसर ने अपना साला ।
साला बोला अंग्रेजी में ‘आई लाइक मच हिन्दी
हिन्दी इज वैरी गुड भाषा एज हमारी मधुशाला’।।
–रमेशराज

चतुष्पदी——–74.
हिन्दू और मुसलमानों में भेद सलीके से डाला,
सबको नपफरत-बैर-द्वेष की पीने को दे दी हाला।
हिन्सा-आगजनी से खुश हैं राजनीति के जादूगर,
उनके बल पर धधक रही अब सम्प्रदाय की मधुशाला।।
+रमेशराज

चतुष्पदी——–75.
अपनी-अपनी ढपली सबकी, अलग राग सबका आला,
सभी जातियाँ लामबंद हैं भेदभाव का ले प्याला।
दिखा रहे हैं हम समूह में एक-दूसरे को नीचा,
सबके सर चढ़ बोल रही है जातिवाद की मध्ुशाला।।
-रमेशराज
—————————————————————–
+रमेशराज, 15/ 109, ईसानगर , निकट-थाना सासनीगेट , अलीगढ़-202001
मो.-9634551630

Language: Hindi
572 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.

You may also like these posts

3118.*पूर्णिका*
3118.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
करवाचौथ
करवाचौथ
Mukesh Kumar Sonkar
परिणाम से डरो नहीं
परिणाम से डरो नहीं
मिथलेश सिंह"मिलिंद"
“पसरल अछि अकर्मण्यता”
“पसरल अछि अकर्मण्यता”
DrLakshman Jha Parimal
माँ तुम याद आती है
माँ तुम याद आती है
Pratibha Pandey
उम्मीद बाक़ी है
उम्मीद बाक़ी है
Dr. Rajeev Jain
साल का पहला त्यौहार
साल का पहला त्यौहार
Rekha khichi
मजदूर हूँ साहेब
मजदूर हूँ साहेब
Dr. Ramesh Kumar Nirmesh
क्या कहूँ ?
क्या कहूँ ?
Niharika Verma
बहुत कुछ सीखना ,
बहुत कुछ सीखना ,
पं अंजू पांडेय अश्रु
मैं पीपल का पेड़
मैं पीपल का पेड़
VINOD CHAUHAN
हक़ीक़त ने
हक़ीक़त ने
Dr fauzia Naseem shad
🙅आज का सवाल🙅
🙅आज का सवाल🙅
*प्रणय*
यह कहते हुए मुझको गर्व होता है
यह कहते हुए मुझको गर्व होता है
gurudeenverma198
मोहब्बत भी शुरू नही किए थे की ये रात बीत गई।
मोहब्बत भी शुरू नही किए थे की ये रात बीत गई।
Rj Anand Prajapati
किराये का घर
किराये का घर
Kaviraag
बिहार की सियासी उठापटक: बढ़ता जन असंतोष और प्रदर्शन, क्या बदलेंगे हालात?
बिहार की सियासी उठापटक: बढ़ता जन असंतोष और प्रदर्शन, क्या बदलेंगे हालात?
Shakil Alam
अपना-अपना दुःख
अपना-अपना दुःख
Dr. Kishan tandon kranti
Dr Arun Kumar shastri
Dr Arun Kumar shastri
DR ARUN KUMAR SHASTRI
हक हैं हमें भी कहने दो
हक हैं हमें भी कहने दो
SHAMA PARVEEN
निज कर्तव्य निभाना है
निज कर्तव्य निभाना है
Sunil Suman
मुझे बेज़ार करने के उसे भी ख़्वाब रहते हैं
मुझे बेज़ार करने के उसे भी ख़्वाब रहते हैं
अंसार एटवी
ध्यान सारा लगा था सफर की तरफ़
ध्यान सारा लगा था सफर की तरफ़
अरशद रसूल बदायूंनी
मंजुल प्रभात
मंजुल प्रभात
Dr Nisha Agrawal
दोहे
दोहे
Rambali Mishra
हिन्दी दोहे :- सत्य की खोज
हिन्दी दोहे :- सत्य की खोज
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
अपूर्णता में पूर्ण है जो ,
अपूर्णता में पूर्ण है जो ,
rubichetanshukla 781
श्रमिक के सपने
श्रमिक के सपने
Seema gupta,Alwar
जन्म हाथ नहीं, मृत्यु ज्ञात नहीं।
जन्म हाथ नहीं, मृत्यु ज्ञात नहीं।
Sanjay ' शून्य'
माधव मालती (28 मात्रा ) मापनी युक्त मात्रिक
माधव मालती (28 मात्रा ) मापनी युक्त मात्रिक
Subhash Singhai
Loading...