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4 Oct 2016 · 1 min read

~~~जज्बात~~~

इतने
जज्बात निकलेँगेँ
दिल से मेरे
कभी सोचा न था

सोने न देंगें
चैन से
रात भर मुझे
कभी सोचा न था

बयां कब तक करूँ
कहाँ तक करूँ
ख़त्म न होंगें यह
कभी सोचा न था

लिखते लिखते
थकने लगी हैं
उंगलियां भी मेरी
निकलते रहेंगें
यह हर रोज इस तरह
कभी सोचा न था

थक जाएँगे लोग भी
पढ़ते पढ़ते
यह अशफाक मेरे
उफ़…कब ख़त्म होगा
यह सिलसिला
कभी सोचा न था ।।

…विनोद चड्ढा…

Language: Hindi
1 Comment · 715 Views
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