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11 Aug 2016 · 1 min read

मिल रहे हैं सभी बेरुखी से…

मिल रहे हैं सभी बेरुखी से
पूछिये मत किसी को किसी से

ये खुशी भी बड़ी नकचढ़ी है
रोज मिलती नहीं है खुशी से

क्यों मुख़ातिब नहीं हो रहे हैं
ये सुकूँ आजकल आदमी से

रोज बैठा करे मुँह फुलाये
दिल ये क्या चाहता ज़िन्दगी से

ना-उमीदी में निकले थे घर से
वो मिले आज खुशकिस्मती से

*********************************

सोमनाथ शुक्ल
इलाहाबाद

2 Comments · 226 Views
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