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2 Aug 2016 · 1 min read

राष्ट् कवि मैथिली शरण गुप्त ( जन्म : ३ अगस्त १८८६)

चिर प्रतिष्ठा चिरगांव गाँव को देने वाले ‘दद्दा’
देश नमन करता है तुमको ह्रदय बसाये श्रद्धा
तीन अगस्त अठारह छियासी, जनपद झाँसी में
वैष्णवों के कुल में जन्मे, शुभ दिन शुभ राशी में
वय बारह से ब्रज भाषा में, लिखना शुरू किया
घर पढ़े संस्कृत-बंगाली, अध्ययन गहन किया
महाकाव्य के साथ बीसियों, खंड ग्रन्थ के लेखक
सिद्ध कवि थे किन्तु कभी न, बने मंचके संयोजक
नैतिकता की शिक्षा उनकी, हर ग्रन्थ में बिखरी
मानवीय सम्बंध जोड़ती, कला काव्य में निखरी
पद्मविभूषण से सम्मानित, थे वैश्य कुलभूषण
नहीं पनपने दिया उन्होंने, भाषा भेद प्रदूषण
अपनी अतिविशिष्टता से, वे राज्यसभा में पहुंचे
अनुवादित उनकी कृतियों के, चले बहुत चरचे
किया उन्होंने देशाराधन, कलम बनाकर साधन
इस कारण ही पाए थे वे, राष्ट्रकवि का आसन
‘काम करो कुछ काम करो’, दिया देश को नारा
बारह बारह गत चौसठ को, अस्तम हुआ सितारा
देशप्रेम, कर्तव्यबोध की, अलख जगाते कवि दद्दा
अमर हुए, प्रेरक बन छाए, हिंदी हित केलिए सदा

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