एक और वर्ष… हँसते हुए विदाई
एक और वर्ष… हँसते हुए विदाई
जीवन की चुनौतियों को
हमने शिकन नहीं, मुस्कान दी,
हर कठिन मोड़ पर
हिम्मत ने हाथ थामा,
और हँसी ने राह दिखाई।
मेरे विद्यार्थी-
जिनकी आँखों में सपने थे,
और सवालों में भविष्य,
उनकी शरारतों, जिज्ञासाओं
और निष्कपट प्रेम ने
हर दिन को उत्सव बना दिया।
मेरा विद्यालय-
जो केवल इमारत नहीं,
संस्कारों की पाठशाला है,
जहाँ हर सुबह उम्मीद
और हर शाम संतोष छोड़ जाती है।
मेरे सहकर्मी-
जो साथ चले,
कभी ढाल बने, कभी दर्पण,
थकान में भी जिनकी हँसी
काम को पूजा बना गई।
और मेरे बॉस-
जिनके विश्वास ने
मेरे कदमों को दिशा दी,
जिनके मार्गदर्शन ने
मेरी उड़ान को आकाश दिया।
आज यह वर्ष
हँसते हुए विदा ले रहा है,
पीछे छोड़ गया है
अनगिनत यादें,
सीख, स्नेह और आत्मबल।
न कोई शिकवा,
न कोई बोझ-
बस कृतज्ञता का दीप
दिल में जलाए,
हम अगले वर्ष की ओर
उसी मुस्कान के साथ बढ़ चले हैं।
क्योंकि
जब साथ हँसने वाले हों,
तो हर वर्ष
सिर्फ़ बीतता नहीं…
संवर जाता है।
नीलम शर्मा ✍️