ना कहना कुछ
ना कहना कुछ चले जाना यूंही दूर मेरी नजरों से,
फिर भी नजारों में दिखता रहेगा जो इश्क तेरा – मेरा है।
मेरी गली में आना नहीं मेरे खो जाने के बाद,
अश्कों में छुपकर आता रहेगा जो इश्क तेरा – मेरा है।
~ राजीव दत्ता ‘ घुमंतू ‘
ना कहना कुछ चले जाना यूंही दूर मेरी नजरों से,
फिर भी नजारों में दिखता रहेगा जो इश्क तेरा – मेरा है।
मेरी गली में आना नहीं मेरे खो जाने के बाद,
अश्कों में छुपकर आता रहेगा जो इश्क तेरा – मेरा है।
~ राजीव दत्ता ‘ घुमंतू ‘