वतन के लिए
तिरंगा चाहिए इक बस कफ़न के लिए।
जान हाजिर है हमारी वतन के लिए।।
जान से भी ज्यादा हमको प्यारा वतन।
देवोभूमि सारे जग से न्यारा वतन।
चमचमाता नभमंडल का तारा वतन।
चाँद से भी है ज्यादा उजियारा वतन।
जाना जाता है शान्ति अमन के लिए।
जान हाजिर है हमारी वतन के लिए।।
राम कृष्ण नानक की पावन जन्मभूमि।
सुभाष, भगतसिंह,आजाद की कर्मभूमि।
कवि तुलसी,निराला की साहित्यिक भूमि।
सुन्दर शिवालयों की पावन देवभूमि।
बहा देंगे खून अपना चमन के लिए।
जान हाजिर है हमारी वतन के लिए।।
देश हित के लिए कुछ भी कर जाएंगे।
मरना होगा यदि हँसते मर जाएंगे।
देख कर शत्रु सीमा पर न डर जाएंगे।
प्राण युद्ध में अराति के हर जाएंगे।
सब न्यौछावर भारत की सुखन के लिए।
जान हाजिर है हमारी वतन के लिए।।
देश रक्षा से बढ़कर कुछ नहीं और है।
हमारे माथे का टीका सिरमौर है।
इससे सुन्दर न दूजी कोई ठौर है।
जगह-जगह चलता लंगरों का दौर है।
तत्पर रहते सदैव शत्रु दमन के लिए।
जान हाजिर है हमारी वतन के लिए।।
जां देने से भी पीछे हटेंगे नहीं।
पर दुश्मन के हाथों भी कटेंगे नहीं।
जातियों में हम कभी भी बँटेंगे नहीं।
देश के शत्रु से कभी भी सटेंगे नहीं।
सदैव प्रतिबद्ध रहेंगे वचन के लिए।
जान हाजिर है हमारी वतन के लिए।।
स्वरचित रचना-राम जी तिवारी”राम”
उन्नाव (उत्तर प्रदेश)