लघुकथा
धनतेरस
अजी सुनो! कावेरी की आवाज सुनकर मनोज पलट कर कहता है हाँ बोलो कावेरी क्या कहना है?
आज धन तेरस है, समय पर घर लौटना। बाजार से कुछ शगुन का सामान लेना है। बच्चे के लिए नये कपड़े भी लेने हैं दीपावली के लिये। वो जिद कर रहा है।
मनोज ने जाते जाते कहा, “ठीक है आ जाऊंगा तुम तैयार रहना।”
माँ आज धन तेरस है, इस दिन क्या करते हैं? क्या आज भी लक्ष्मी जी आयेंगी हमारे घर?
नहीं बेटा लक्ष्मी जी तो परसों आएंगी, आज तो वैद्य धन्वंतरी जी का जन्मदिन है। उनका बर्थडे मनाएंगे आज कावेरी ने मुस्कुराते हुए तपन को बताया।
अच्छा माँ! हम केक भी लाएंगे आज! और क्या क्या करेंगे पार्टी भीहोगी हमारे घर, हम वैद्य जी को क्या गिफ्ट देंगे?
नहीं बच्चे हम आज उनकी पूजा करेंगे और उनसे सबके स्वास्थ्य का आर्शीर्वाद मांगेगे। बेटा धन्वंतरी विष्णु का ही अंश हैं, वो समुद्र से निकले हैं, वे देवताओं के डॉक्टर हैं, पर हम मनुष्य भी उनसे प्रार्थना करके अच्छा स्वास्थ्य पा सकते हैं।
आज हम कुछ सोने चांदी की वस्तुएँ, जड़ी बूटियाँ आदि लाकर उन को समर्पित कर उसका प्रसाद रूप में उपयोग करेंगे।
तपन अभी बच्चा है, उसे माँ की बात ठीक से समझ नहीं आ रही थी, पर फिर भी वह माँ को बड़ी
उत्सुकतता से सुन रहा था।