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6 Dec 2025 · 1 min read

मेरी ही ख्वाहिशों की कतरने उठाते उठाते शाम हो गई ।

मेरी ही ख्वाहिशों की कतरने उठाते उठाते शाम हो गई ।
मैं समेट रहा था उनको और फिर यह बात आम हो गई।।
खोया बहुत कुछ है मैंने कुछ पाने की तलाश में ए जिंदगी ।
मैंने समझौता कर लिया है दिल से
चलिए जिंदगी आज से उसके नाम हो गई।।

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