मेरी ही ख्वाहिशों की कतरने उठाते उठाते शाम हो गई ।
मेरी ही ख्वाहिशों की कतरने उठाते उठाते शाम हो गई ।
मैं समेट रहा था उनको और फिर यह बात आम हो गई।।
खोया बहुत कुछ है मैंने कुछ पाने की तलाश में ए जिंदगी ।
मैंने समझौता कर लिया है दिल से
चलिए जिंदगी आज से उसके नाम हो गई।।