साँसों की बंशी को स्वरों से सजाना चाहिए।
साँसों की बंशी को स्वरों से सजाना चाहिए।
ज़िन्दगी की ग़ज़ल गुनगुनाना चाहिए।
रोने से भरती नहीं हैं दर्द की ये घाटियां,
मुस्कानों के नित नए शिखर बनाना चाहिए।।
डॉक्टर रागिनी स्वर्णकार,इंदौर
साँसों की बंशी को स्वरों से सजाना चाहिए।
ज़िन्दगी की ग़ज़ल गुनगुनाना चाहिए।
रोने से भरती नहीं हैं दर्द की ये घाटियां,
मुस्कानों के नित नए शिखर बनाना चाहिए।।
डॉक्टर रागिनी स्वर्णकार,इंदौर