प्रेम लोक को स्वप्न ही,
प्रेम लोक को स्वप्न ही,
करते हैं साकार ।
मौन प्रणय की व्यंजना,
इसमें ले आकार ।।
सुशील सरना / 5-12-25
प्रेम लोक को स्वप्न ही,
करते हैं साकार ।
मौन प्रणय की व्यंजना,
इसमें ले आकार ।।
सुशील सरना / 5-12-25