जो समझते हैं वो जीत गए लूटकर किसी अपने को
जो समझते हैं वो जीत गए लूटकर किसी अपने को
ये उनकी बदनसीबी है कुछ और नहीं
खाली वो कल भी थे और आज भी…
जब अंतिम यात्रा का समय नजदीक आए
तो ताकते रहना
पीछे कोई नहीं होगा
बस होगा वो छूटा हुआ सब जो छीना था तुमने अपनों के लिए किसी अपने का हक
–डॉ नीरू मोहन