*भरी कुटिलता साहिब जी में, बाहर से मुस्कान (गीत)*
भरी कुटिलता साहिब जी में, बाहर से मुस्कान (गीत)
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भरी कुटिलता साहिब जी में, बाहर से मुस्कान
जीवन जीते स्वार्थ-लोभ में, करते परहित बातें
मुॅंह में राम छुरी है अंदर, रचते भीषण घातें
मन की इनकी सुनो लगाकर, दीवारों पर कान
यह हैं सबके गॉंव-शहर में, दूर-पास यह रहते
यह शुभचिंतक सदा आपके, सबसे खुद को कहते
काली करतूतों से करते, सबको लहूलुहान
इनके बिना गुजरा कैसे, हॅंसकर इनसे बोलो
सीधेपन में इनसे मन की, परतें कभी न खोलो
तरकीबों से काम अगर लो, तो है कम नुकसान
भरी कुटिलता साहिब जी में, बाहर से मुस्कान
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रचयिता : रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा (निकट मिस्टन गंज), रामपुर, उत्तर प्रदेश
मोबाइल 9997615451