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4 Nov 2025 · 1 min read

*धन की महत्ता है मगर धन, प्रेम से ऊपर नहीं (हिंदी गजल)*

धन की महत्ता है मगर धन, प्रेम से ऊपर नहीं (हिंदी गजल)
________________________
1)
धन की महत्ता है मगर धन, प्रेम से ऊपर नहीं
है प्रेम अनुपस्थित जहॉं पर, वह समझ लो घर नहीं
2)
यह प्यार ही करता असर है, दंड रत्ती-भर नहीं
है दान में जो तृप्ति मधुरिम, देख लो कर में नहीं
(कर = टैक्स)
3)
जीवन बहुत छोटा भले है, पर बड़ी है जीवनी
जलता चिता में व्यक्ति है पर, जीवनी-अक्षर नहीं
4)
अधिकार सारे छिन चुके हैं, मान्यवर अब आपके
अब आपका है इसलिए ही, तो कहीं पर डर नहीं
5)
अति प्रेम से बोया गया जो, बीज फल देगा सदा
यदि प्यार का अस्तित्व है तो, भूमि फिर ऊसर नहीं
______________________
रचयिता: रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा (निकट मिस्टन गंज), रामपुर, उत्तर प्रदेश
मोबाइल 9997615451

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