Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
21 May 2024 · 1 min read

*हेमा मालिनी (कुंडलिया)*

हेमा मालिनी (कुंडलिया)
➖➖➖➖➖➖➖
अभिनेता अभिनेत्रियॉं, यों तो हुईं हजार
लेकिन हेमा मालिनी, कब होतीं हर बार
कब होतीं हर बार, कभी दिखतीं अंगारा
ड्रीम गर्ल का रूप, हमेशा पाया प्यारा
कहते रवि कविराय, नृत्य अद्भुत रस देता
मनपसंद धर्मेंद्र, मिले साथी अभिनेता
————————————
रचयिता: रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर, उत्तर प्रदेश
मोबाइल 99976 15451

247 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Ravi Prakash
View all

You may also like these posts

आज ईद का दिन है
आज ईद का दिन है
Jyoti Roshni
आनंद से जियो और आनंद से जीने दो.
आनंद से जियो और आनंद से जीने दो.
Piyush Goel
कहती नही मै ज्यादा ,
कहती नही मै ज्यादा ,
Neelu Tanwer
4039.💐 *पूर्णिका* 💐
4039.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
पसंद प्यार
पसंद प्यार
Otteri Selvakumar
..
..
*प्रणय प्रभात*
मन का मेल
मन का मेल
PRATIK JANGID
बुरा लगे तो मेरी बहन माफ करना
बुरा लगे तो मेरी बहन माफ करना
Rituraj shivem verma
यादों का बसेरा है
यादों का बसेरा है
Shriyansh Gupta
बहुत कुछ पाना, बहुत कुछ खोना।
बहुत कुछ पाना, बहुत कुछ खोना।
भगवती पारीक 'मनु'
चलते-फिरते लिखी गई है,ग़ज़ल
चलते-फिरते लिखी गई है,ग़ज़ल
Shweta Soni
।।समय का सदुपयोग
।।समय का सदुपयोग
।।"प्रकाश" पंकज।।
बहनें
बहनें
Mansi Kadam
जमीर मरते देखा है
जमीर मरते देखा है
Kanchan verma
राम प्यारे हनुमान रे।
राम प्यारे हनुमान रे।
krishna waghmare , कवि,लेखक,पेंटर
Be valuable.
Be valuable.
पूर्वार्थ
जश्ने आज़ादी का
जश्ने आज़ादी का
Dr fauzia Naseem shad
पितृ दिवस
पितृ दिवस
Ram Krishan Rastogi
कोई ख़बर तो आये तुम्हारी
कोई ख़बर तो आये तुम्हारी
Surinder blackpen
कविता -
कविता - "करवा चौथ का उपहार"
Anand Sharma
वर्तमान समय में महिलाओं के पुरुष प्रधान जगत में सामाजिक अधिकार एवं अस्मिता हेतु संघर्ष एक विस्तृत विवेचना
वर्तमान समय में महिलाओं के पुरुष प्रधान जगत में सामाजिक अधिकार एवं अस्मिता हेतु संघर्ष एक विस्तृत विवेचना
Shyam Sundar Subramanian
तुझ से मोहब्बत से जरा पहले
तुझ से मोहब्बत से जरा पहले
इशरत हिदायत ख़ान
जिंदगी रेस नहीं है कि हमेशा दौड़ा ही जाए, कभी ठहरकर अपने आस-
जिंदगी रेस नहीं है कि हमेशा दौड़ा ही जाए, कभी ठहरकर अपने आस-
ललकार भारद्वाज
मुकद्दर तेरा मेरा एक जैसा क्यों लगता है
मुकद्दर तेरा मेरा एक जैसा क्यों लगता है
VINOD CHAUHAN
प्रवास के दिन
प्रवास के दिन
Dr Pranav Gautam
-शेखर सिंह
-शेखर सिंह
शेखर सिंह
"कवि की कलम"
Dr. Kishan tandon kranti
वर्ण पिरामिड
वर्ण पिरामिड
Rambali Mishra
होली का रंग चढ़े यूं सब पर,
होली का रंग चढ़े यूं सब पर,
पूर्वार्थ देव
“परीक्षा”
“परीक्षा”
Neeraj kumar Soni
Loading...