*चाय और चांद*
चाय और चांद
सब सो गए, सन्नाटा जाग उठा,
दिल बोला, थोड़ी चाय बना ले न, कुछ तो होगा।
चाँद मुस्कुराया, बोला, मैं भी यहीं हूँ पास,
रात ने दोनों को थमा दी एक-सी प्यास।
©® डा० निधि श्रीवास्तव “सरोद”
चाय और चांद
सब सो गए, सन्नाटा जाग उठा,
दिल बोला, थोड़ी चाय बना ले न, कुछ तो होगा।
चाँद मुस्कुराया, बोला, मैं भी यहीं हूँ पास,
रात ने दोनों को थमा दी एक-सी प्यास।
©® डा० निधि श्रीवास्तव “सरोद”