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3 Apr 2017 · 1 min read

कलम को आज कागज पर

कलम को आज कागज़ पर चलाने की तमन्ना है
रुबाई,गीत,गज़लों को सजाने की तमन्ना है

भरी महफिल में अपना दिल लुटाने की तमन्ना है
किसी की आँख से काजल चुराने की तमन्ना है

अभागी बेटियां जो कोख में ही मार दी जातीं
मुझे हर हाल में उनको बचाने की तमन्ना है

न भूखा भेड़िया कोई बहू का कत्ल कर पाये
इक ऐसा आंदोलन अब चलाने की तमन्ना है

बदलते दौर में हम नारियां भी शक्तिशाली हैं
हरइक महिला में ये जज़्बा जगाने की तमन्ना है

कमर कस ली कँवल ने अब जमाने को दिखा देगी
हमें भी राष्ट्रहित कुछ कर दिखाने की तमन्ना है

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