पंच पर्व दीपावली पर मुक्तक
‘पंचपर्व दीपावली’ के उपलक्ष्य में पाँच मुक्तक ( दोहा छंद व बरसी छंद में ) प्रेषित कर रही हूँ।👇
धनतेरस
आज पर्व धनवंतरी, सुखी रहे परिवार।
रोग-शोक तन मुक्त हो, खुशियाँ मिलें अपार।
दान-पुण्य, सत्कर्म कर, प्राप्त करें उत्कर्ष-
सकल आपदा दूर हो, दीप जलें हर द्वार।
नरक चतुर्दशी
अपामार्ग दल नीर से, करें आप स्नान।
दीप जला यम नाम का, करें कृष्ण का ध्यान।
कार्तिक नरक चतुर्दशी, स्वच्छ रहे घर द्वार-
पाप कटें, मुक्ति मिले, करें दीप का दान।
दीपावली
दीप जला रौशन करो, घर-आँगन हर द्वार।
आई है दीपावली, दूर करो अँधियार।
खुशहाली चहुँ ओर हो, सबका हो कल्याण-
माँ लक्ष्मी-गणपति कृपा, भरे सदा भंडार।
गोवर्धन
गोवर्धन नख धार के, कृष्ण बचाए प्राण।
अहं शक्र का तोड़ के, किया लोक कल्याण।
अन्नकूट शुभ पर्व पर, पूजो गोधन आज-
गौ सेवा परमार्थ है, कहते वेद-पुराण।
भैया दूज
रिश्तों की सौगात अनूठी, खुशहाली आधार।
वार रही द्वय हस्तों से निज, बहना अमिट दुलार।
रोली-अक्षत भाल तिलक कर, मना रही शुभ पर्व-
सुख-वैभव घर लेकर आया, भाई दूज त्यौहार।
डॉ. रजनी अग्रवाल “वाग्देवी रत्ना”
वाराणसी, उत्तर प्रदेश