*कितने खुशकिस्मत हैं वे जो, सहज सॉंस लेते हैं (गीत)*
कितने खुशकिस्मत हैं वे जो, सहज सॉंस लेते हैं (गीत)
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कितने खुशकिस्मत हैं वे जो, सहज सॉंस लेते हैं
उन्हें पता क्या कितनी सॉंसें, अनायास आती हैं
ज्यों चुपचाप चली आईं यह, वैसे ही जाती हैं
मिलता है वरदान करोड़ों, सॉंसें प्रभु देते हैं
सॉंसों की पतवार बनाकर, जीवन-नौका चलती
जब तक सॉंसें चलतीं मतलब, नौका कभी न ढलती
जो जीवित हैं वे सॉंसों से, जीवन को खेते हैं
किसे पता बहुमूल्य सॉंस कब, जाकर लौट न पाए
राजपाट वाला राजा भी, बिना सॉंस मर जाए
बड़े-बड़ों के गले सदा से, सॉंसों ने रेते हैं
कितने खुशकिस्मत हैं वे जो, सहज सॉंस लेते हैं
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रचयिता: रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा (निकट मिस्टन गंज), रामपुर, उत्तर प्रदेश
मोबाइल 9997615451