जाने कहाँ है तू
*जाने कहाँ है तू *
हज़ारों आँखें लिए,
हर पल वी हमें देखता है,
हर कर्म को हमारे परखता है।
जानते हैं हम-
फिर भी डरते नहीं।
हज़ारों कान लिए,
हर पल वो हमें सुनता है?
हर शब्द को हमारे जाँचता है।
डरते हैं हम
फिर भी मानते नहीं।
हज़ारों हाथ लिए,
हर पल वो हमें थामता है,
हर राह का हमारे प्रमाता है।
मानते हैं हम
फिर भी सुधरते नहीं हैं।
प्रकृति की आवाज़ में लुप्त कहीं,
जाने कहाँ है तू..
मुझे तेरी तलाश है।
तेरी ही जुस्तजू है,
मुझको सिर्फ़ तेरी ही तलाश है।
वन्दना सूद