तुम्हारे लिए– गीत
मैं न रातों को सोता तुम्हारे लिए,
हर नई भोर गढ़ता तुम्हारे लिए,
जानते जो अगर तुम न आओगे तो,
मैं न मीलों यूं चलता तुम्हारे लिए।
तुम जो कहती वो करता तुम्हारे लिए,
हर समर जीत लेता तुम्हारे लिए,
एक वचन गर न होता मिरे साथ तो,
मैं तुम्हें छोड़ देता तुम्हारे लिए।
बूंद में खुद ही जीता तुम्हारे लिए,
हर समुंदर मैं करता तुम्हारे लिए,
एक नदी रूठती ही गई मुझसे पर,
मैं किनारे पे आया तुम्हारे लिए।
अभिषेक सोनी “अभिमुख”
ललितपुर, उत्तर–प्रदेश