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16 Oct 2025 · 1 min read

*यों हवा हमेशा भली रही, ऑंधी ने किया तबाह (गीत)*

यों हवा हमेशा भली रही, ऑंधी ने किया तबाह (गीत)
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यों हवा हमेशा भली रही, ऑंधी ने किया तबाह

अच्छी थी वह घर-बाहर जो, मंद-मंद बहती थी
कुछ मेरी बातें सुनती थी, कुछ अपनी कहती थी
बिगड़ गई पर एक दिवस, पकड़ी घातक अति राह

हमने तो सबको ही मन की, निर्मल बात बताई
हमें पता क्या खाई जैसी, है कपटी गहराई
हमने सीखी ही नहीं कभी, जग वाली कुत्सित चाह

थोड़े-से लालच में अपना, मूल स्वभाव बदल लें
हम वह कभी नहीं हो पाए, जो औरों को छल लें
सदा एक ही शांत नदी-सा, चिर-परिचित रहा प्रवाह
यों हवा हमेशा भली रही, ऑंधी ने किया तबाह

रचयिता: रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा (निकट मिस्टन गंज), रामपुर, उत्तर प्रदेश
मोबाइल 9997615451

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