*सिर्फ चूल्हा जलाती नहीं आजकल (हिंदी गजल)*
सिर्फ चूल्हा जलाती नहीं आजकल (हिंदी गजल)
_______________________
1)
सिर्फ चूल्हा जलाती नहीं आजकल
सिर्फ रोटी पकाती नहीं आजकल
2)
नौकरी कर रहीं लड़कियॉं सब जगह
कौन पैसा कमाती नहीं आजकल
3)
पत्नियों की कमाई से घर चल रहे
कौन तेवर दिखाती नहीं आजकल
4)
अब सहेगी नहीं धौंस पतिदेव की
सिर्फ सिर को झुकाती नहीं आजकल
5)
अब कमाऊ बहू की बहुत मॉंग है
सिर्फ गृहणी लुभाती नहीं आजकल
_______________________
रचयिता: रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा (निकट मिस्टन गंज), रामपुर, उत्तर प्रदेश
मोबाइल 9997615451