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3 Sep 2019 · 1 min read

सरिता सी जिन्दगी

सरिता सी होती जिन्दगी जो बहती रहती है
उफान पर बहती है कभी तल पर बहती है

पहाड़ो से निकलती है मैदानों में फसती है
जिन्दगी भी तो ऐसे ही निकलती फसती हैं

दरिया सी है जिन्दगी कई मोड़ों पर.मुड़ती है
कहीं चौड़ी होती है कहीं पर संकीर्ण होती है

निर्झरिणी की भान्ति जीवन सूख भी जाता है
बादल खुशी बन बरसता है वो सूखा मिटता है

रजवती जब घिरे तूफानों से तबाही मचाती हैं
तूफानों से घिरी जिन्दगी त्राहि त्राहि मचाती है

सूनसान राहों पर नदियों की गहराई नहीं मपती
जिन्दगी भी गर सूनी हो तो तन्हाई नहीं है नपती

तरंगिणी तेज बहाव में सब कुछ बहा ले जाती है
जिन्दगी समय वेग के साथ जमाने को उड़ाती है

शैवालिनी धारा प्रवाह शान्त शालीन होता है
जीवन सभी प्रेम रंगों से रंगलीन हसीन होता है

सरिता सी होती जिन्दगी जो बहती रहती है
उफान पर बहती है कभी तल पर बहती है

सुखविंद्र सिंह मनसीरत

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