Sahityapedia
Sign in
Home
Your Posts
QuoteWriter
Account
14 Oct 2025 · 1 min read

*बातें कड़वी भी करो, मीठे मधु में घोल (कुंडलिया)*

बातें कड़वी भी करो, मीठे मधु में घोल (कुंडलिया)
_________________________
बातें कड़वी भी करो, मीठे मधु में घोल
जिह्वा कोमल है मगर, इसके चाकू-बोल
इसके चाकू-बोल, घाव गहरा यह करती
मारक इसकी चोट, नहीं अक्सर है भरती
कहते रवि कविराय, बीतते हैं दिन-रातें
मगर न पाता भूल, आदमी कड़वी बातें

रचयिता: रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा (निकट मिस्टन गंज), रामपुर, उत्तर प्रदेश
मोबाइल 9997615451

Loading...