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8 Nov 2022 · 1 min read

*दिल्ली में (हिंदी गजल/गीतिका)*

दिल्ली में (हिंदी गजल/गीतिका)
“””””””””””””””””””””
(1)
गुजारें मत अभी दो-चार दिन भी आ के दिल्ली में
हवाओं में जहर है, क्या करेंगे खा के दिल्ली में

(2)
परेशानी से साँसे ले रहे हैं दिल्ली वाले खुद
करेंगे आप गलती घूमने की जा के दिल्ली में

(3)
रिटायर हो के बसने के लिए अच्छा शहर चुनिए
करेंगे क्या जहर के बीच घर बनवा के दिल्ली में

( 4 )
पटाखे – गाड़ियाँ – धूलें – धुएँ की देन है मौसम
जहर यह डालते हैं रोज ही ला-ला के दिल्ली में

( 5 )
सभी को है जरूरत सोचने की अब तसल्ली से
कहाँ से कैसे आया है कहर बरपा के दिल्ली में
“”””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””
रचयिता : रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा,रामपुर उत्तर प्रदेश
मोबाइल 99976 15451

1 Like · 337 Views
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