गर्दिशें बुलाती हैं तो, सितारे खींचे चले जाते हैं,
गर्दिशें बुलाती हैं तो, सितारे खींचे चले जाते हैं,
दुआएं पूरी करने वाले, फिर दुआएं बनकर मिट जाते हैं।
गवाही देता है ये आसमां, मोहब्बत के पाकीजगी की,
फिर भी दुनिया वाले इसे, कई नामों से बुलाते हैं।
अनजानी राहों में कभी, कदम यूँ हीं मुड़ जाते हैं,
वापसी की चाहतों को, किसी जादूगरी में ये ठुकराते हैं।
थकते हैं, टूटते हैं, और कराहते हुए ये लंगड़ाते हैं,
फिर एक दिन सफर में तय की गयी, दूरियों का जश्न ये मनाते हैं।
कभी मायने होते हैं खूबसूरती के, कभी सादगी को ये अपनाते हैं,
प्रतिबिम्ब में बदलते रूप का मतलब, आईने को फिर समझाते हैं।
हरे पत्तों से लदे दरख़्त को देख, जो आँखों से मुस्काते हैं,
वही सुखी पत्तियों को रौंद, शाम को टहलकर घर आते हैं।
कुछ तो रूठी सी है ज़िन्दगी, पर कुछ पल अब भी खुशियां छू कर बताते हैं,
एक बर्फ़ सी जमी नदी है जहां, कुछ कतरे बस यूँ हीं पिघल जाते हैं।