*हे नमन-नमन भगवान विष्णु (राधेश्यामी छंद)*
हे नमन-नमन भगवान विष्णु (राधेश्यामी छंद)
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1)
हे नमन-नमन भगवान विष्णु, तुम जग के पालन-कर्ता हो।
जब भी जग पर संकट आए, तुम उस संकट के हर्ता हो।।
2)
तुम सदा-सदा से इस जग का, शुभ पालन करते आए हो।
तुम आदिकाल से ही सहस्त्र, नामों में जग में छाए हो।।
3)
तुम ही हरि तुम ही नारायण, केशव-माधव कहलाते हो।
तुम शंख-चक्र तुम पद्म-गदा, धारण करके नित आते हो।।
4)
यह राम-कृष्ण जो जन्मे हैं, यह सब अवतार तुम्हारे हैं।
दुनिया में रावण-कंस सभी, प्रभु हाथ तुम्हारे हारे हैं।।
5)
तुम सकल जगत के स्वामी हो, लक्ष्मी जी पैर दबाती हैं।
जो तुम्हें पूजते हैं उनको, विपदाऍं नहीं सताती हैं।।
6)
दस अवतारों में अभी शेष, अवतार कल्कि का आना है।
अवतार तुम्हारा मानव-हित, यह सच जाना-पहचाना है।।
7)
हम कहते हैं जो कृष्ण-कथा, जो कथा-भागवत गाते हैं।
इसका सब श्रेय तुम्हीं को है, हम विष्णु नाम फैलाते हैं।।
8)
प्रभु दो हमको वरदान सदा, जग का पवित्र पालन पाऍं।
हम सदा तुम्हारा ध्यान करें, आशीष सदा तुमसे लाऍं।।
9)
प्रभु क्षमा करो हे विष्णु सभी, त्रुटियॉं जानी-अनजानी जो।
प्रभु क्षमा करो हम बालक हैं, सारी गलती नादानी जो।।
10)
हम विविध तुम्हारे रूपों में, हे विष्णु तुम्हें ही ध्याते हैं।
हे जग के पालनहार तुम्हें, हम सौ-सौ शीश झुकाते हैं।।
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रचयिता: रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा (निकट मिस्टन गंज), रामपुर, उत्तर प्रदेश
मोबाइल 9997 615451