बादल फटा
सूनी नूतन पतझड़ में डाली
नियति की मधुर आँगन में
निराश वेदना कहर रौद्र की
काली नज़र पड़ी आबादी
हिमाचल उत्तराखण्ड जम्मुघाटी
दो तीन सौ करोड़ टन पानी लिए
फूटी काले बादल सैलाब तबाही
घर आंगन कीचड़ और पानी
सामने गाल वढ़ा काल खड़ा
सोचा नही कभी ऐसा भी होगा
बाढ़ ग्रसित रुदन जीवन होगा
निराश नयन अश्रु सूखा था
मुंह ढक व्यक्त मन की पीड़ा
क़हर ने किसी को नहीं छोड़ा
उपर कीचड़ पत्थर विशाल
नीचे प्राण पखेरू दबा पड़ा
आपदा बिपदा का मंजर था
एनडी आरएफ विफल खड़ा
रौद्र उफ़ान तूफ़ान अति बड़ा
प्रशासन मीड़िया की जमाबड़ा
पल पल क्षण क्षण की रौद्रता
जन मानस गुहार लगा रहा था
वेदना की अनन्त व्योमगंगा में
काली मेघा पे नजर टिका था ।
टी .पी . तरुण