Sahityapedia
Sign in
Home
Your Posts
QuoteWriter
Account
13 Sep 2025 · 1 min read

एक हम थे जो नज़दीक आते रहे

एक हम थे जो नज़दीक आते रहे
एक वो थे जो दूरी बढ़ाते रहे

प्रेम की वो तो मदिरा पिलाते रहे
और अपने कदम डगमगाते रहे

अपने तो प्यार की है कहानी यही
रूठते वो रहे हम मनाते रहे

जानते थे वफ़ा उनकी फ़ितरत नहीं
बेवजह अपने दिल को दुखाते रहे

सोच लो भर सकोगे उड़ाने नहीं
तुम अगर खुद को इतना डराते रहे

मांगते तो वो हमसे रहे माफियां
पर खतावार हमको बताते रहे

जिनको पैरों पे अपने किया था खड़ा
वक़्त पर वो ही आँखें दिखाते रहे

देखिए आप जज़्बा हमारा ज़रा
चोट खाकर भी हम मुस्कुराते रहे

नासमझ थे या मासूम हम ‘अर्चना’
जो न समझे हमें वो बनाते रहे
डॉ अर्चना गुप्ता
13.08.2025
(875)

Loading...